Bihar Liquor Ban : बिहार में शराबबंदी को लेकर पटना के हाईकोर्ट में सुनाया एक नया फैसला

Bihar Liquor Ban : पटना के हाईकोर्ट में यह एक महत्वपूर्ण आदेश में हमारे प्रदेश में शराबबंदी के कानून को लेकर हम टिप्पणी की है। जो कि पटना के कोर्ट में कहा गया है। कि यह कानून को टूटने पर इसमें से मकान मालिकों की सालिकता नहीं दी जाएगी। तो उसके भवन को राज्यसात करना गैरकानूनी है। 

 

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Bihar Liquor Ban तो पटना का कोर्ट ने अपने इस फैसले में या तय किया है। कि शराबबंदी के कानून को तोड़ने वाला अभियुक्त यदि सभी परिसर का किराएदार है और वह उक्त अपराध में मकान के मालिक संयुक्त नहीं है। तो उन लोगों के भवन या उसके परिसर को राज्यसात किया जाना गैरकानूनी है। 

 

याचिका करता मुजफ्फरपुर के स्थित चंद्रलोक कॉन्टिनेंटल नमक के होटल का मालिक था। जो कि उनके रिजवान नाम के व्यक्ति का यह भवन का होटल के रूप में इसे चलाने के लिए 1 जून 2016 को रिलीज पर दिया गया था। जो की लिस्ट की अवधि 30 अप्रैल 2017 तक थे तो वह 30 अगस्त 2016 को पुलिस ने मुक्त होटल से 2.25 लीटर शराब की एक बोतल मिलने के कारण Bihar Liquor Ban शराबबंदी का केस रिजवान पर लग गई। तो मैं 2013 में होटल को जप्त कर दिया गया। 

 

Bihar Liquor Ban तो पटना के हाईकोर्ट ने इस बात पर हैरानी जाते हैं। कि आबकारी के अधिकारियों ने उक्त होटल को सिर्फ इस बात के लिए सेल वह राज्य साथ के लिए किया गया क्योंकि उक्त होटल के प्लीज अनुबंध थी। तो कोर्ट ने कहा कि यह अधिकारियों का मनमाना पान है। जब प्राथमिक की और अनु संसाधन में मकान के मालिक की सालिकता नहीं मिली तो फिर उसके होटल वाले ने भवन को ही सील कर गैरकानूनी है। 

 

Bihar Liquor Ban

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हमारे राज्य में शराब की पूरी तरह से होम डिलीवरी हो रही है Bihar Liquor Ban को लागू होने के बाद 7 वर्ष तो बीत चुके हैं लेकिन शराब माफिया ने इस व्यवस्था में हजारों ने वालियों को भी रखा है वे लोग घर-घर मैं जाकर शराब पहुंचने की होम डिलीवरी करते हैं इसमें पुलिस और प्रशासन के पूरी सहयोग से शराब की आपूर्ति पूर्ण रूप से हो जाती है सभी शराब माफिया की सत्ता से निकट सहभागिता और निर्धनता के कारण यह से मुक्त है शराब की अवैध व्यवसाय में इनकी जड़े गहरी हो गई है। 

 

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बिहार में चल रहे एक सर्वे के अनुसार बताया गया कि बिहार में 99% महिलाओं ने शराबबंदी के पक्ष में अपना राय दिया है। बिहार की महिलाएं नहीं चाहती है कि दोबारा शराब को चालू किया जाए। उत्पाद और निबंधन विभाग के तरफ से शराबबंदी के 7 वर्षों के प्रभाव का पूरे प्रदेश में विस्तार से सर्वे किया साथ ही इस Bihar Liquor Ban को लेकर आम आदमी की प्रतिक्रिया भी रिकॉर्ड की गई।

 

बंदी की बमुश्किल 1 साल बाद 2017 में 3 डॉक्टरों की टीम के द्वारा सर्वे में पता किया गया कि लगभग 64% शराब पीने वाले ने प्रतिबंध के बाद शराब पीना बंद कर दिया है लेकिन बाकी लोगों ने शराब की जगह पर तारी जैसे अन्य पदार्थों का सेवन करने में लगे हुए हैं। गांजा चरस आदि जैसे अभी भी आसपास के इलाकों में देखने को मिल रहे हैं। जब कि यह पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।

 

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