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Baigan Ki Kheti Kaise Karen
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बैंगन की खेती ( brinjal cultivation ) की बुवाई का सही समय और उन्नत किस्म के बारे में
Baigan Ki Kheti→ रवि खरीफ एवं गरमा तीनों मौसम में बैगन की खेती देश के सभी राज्यों में की जाती है।लोगों में भ्रम है कि बैगन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है जबकि खांसी उच्च रक्तचाप हृदयरोग रक्त की कमी जैसे रोगों में बैगन लाभदायक है।साथ ही साथ लहसुन मिलाकर सूप बनाकर पीने पर गैस और पेट की बीमारियों में लाभ होता है। बैगन को भूनकर शहद के साथ खाने पर नींद अच्छी आती है। सफेद बैंगन शुगर रोगियों के लिए लाभदायक होता है
Baigan Ki Kheti के लिए जलवायु
बैंगन को लंबे गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। अत्याधिक सर्दियों में फसल में क्षति की संभावना बनी रहती है।
Baigan Ki Kheti के लिए भूमि
दोमट एवं हल्की भारी मिट्टी बैंगन की फसल के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग सभी मित्रों में बैगन की खेती संभव है। मिट्टी उर्वरक होनी चाहिए साथ ही जल निकास की उचित व्यवस्था आवश्यक है।
Baigan Ki Kheti की तैयारी
खेत में नमी ना होने की दशा में हल्की सिंचाई करें और बरकनी में आने पर तीन चार जुताई करें। 1 जुलाई मिट्टी पलटने वाले हल से एवं अंजू ताई कल्टीवेटर से करें प्रत्येक जुताई के बाद पट्टा लगाकर मिट्टी भुरभुरी बनाएं। इसके बाद निराई गुड़ाई एवं सिंचाई सुविधा हेतु क्षेत्र को क्यारियों में बांट लें|
Baigan Ki Kheti के लिए खाद और उर्वरक
बैगन की खेती के लिए मिट्टी की जांच आवश्यक है जांच के अनुसार खाद और उर्वरक को डालनी चाहिए अगर बैगन की खेती के लिए मिट्टी की जांच नहीं हो पाती है तो खेत तैयार करने के समय 20 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए। इसके बाद 200 Kg यूरिया 370 Kg सुपर फास्फेट और एक 100 Kg पोटैशियम सल्फेट का इस्तेमाल करना चाहिए
Baigan Ki Kheti के लिए उन्नत किस्में / बैंगन की प्रजाति
बैगन में कई तरह की प्रजातियां पाई जाती है जैसे लंबा बैगनी लंबा हरा सफेद छोटा क्लोजी बैगन एवं गोल बैगन अलग-अलग क्षेत्रों में स्थानीय मांग के आधार पर किसानों द्वारा पर जातियों का चयन कर खेती की जाती है
बीज दर
बैगन की खेती के लिए विभिन्न किस्मों के लिए 500 से 700 ग्राम बीच प्रति हेक्टेयर के लिए आवश्यक होती है।
Baigan Ki Kheti कि बुवाई का समय
बैगन की खेती के लिए बीजों को पहले नर्सरी में बोकर पौधे तैयार की जाती है। रवि खरीफ एवं ग्रीष्म मौसम के लिए अलग-अलग समय है। रवि फसल के लिए जून माह में बीजों की नर्सरी में बोया जाता है। लगभग 1 महीने में पौधा तैयार होता है इसके बाद जुलाई में पौधा को मुख्य खेत में लगा दिया जाता है। ग्रीष्मकालीन फसल के लिए बीज की बुवाई नवंबर में की जाती है और पौधों को जनवरी-फरवरी में प्रति रोपित कर दिया जाता है।इसी तरह से खरीफ फसल के लिए बीज की बुवाई मार्च माह में और पौधों को मुख खेत में अप्रैल माह में लगा देना चाहिए।
Baigan Ki Kheti कि सिंचाई प्रबंधन
बैगन की खेती में सिंचाई का बहुत महत्व नमी की कमी होने पर सिंचाई करते रहना चाहिए।सिंचाई इस तरह से करें कि खेत में अधिक समय तक जलजमाव ना रहे साथ ही बैंगन के पौधे के चारों और मिट्टी चढ़ा दें इससे पानी तने में थोड़ा दूर रहेगा।
Baigan Ki Kheti कि पौधा संरक्षण
बैगन में कई तरह के रोग एवं कीटों का प्रकोप होता है जिसके कारण इस फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है।खासकर फल छेदक और तना छेदक का प्रकोप इतना ज्यादा होता है कि इससे निपटने के लिए किसान अंधाधुन रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं।फल स्वरुप मित्र कीटों की संख्या तो कटती है साथ ही प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाने के चलते लक्षित कोई भी किट नहीं मरते। नीम तरह से रोग एवं कीटों का नियंत्रण करें।
उपज
बैगन में उन्नत विधि से खेती करने पर 250 से 300 प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है।
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