Vishvkarma Puja 2023: भगवान विश्वकर्मा जी को दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है। जिन्होंने सोने की लंका द्वारका नगरी पुष्पक विमान देवी देवताओं का रथ अस्त्र महल आदि का निर्माण किया था। पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कन्या संक्राति के दिन पूजा होती है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। और इसे विस्तृत रूप से जानने का प्रयास करते हैं।
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Vishvkarma Puja 2023 परिचय
मानव सामाजिक प्राणी है। तथा समाज के सुधार रक्षा एवं अभ्यूदये का कार्य तभी यथार्थ हो सकेगा जब हम अपनी धार्मिक मर्यादा पूर्ववत कायम रखेंगे मानव समाज का देवदानक दोनों समुद्र है। और रहेगा क्योंकि सृष्टि के आरंभ से देवता और देव चले आ रहे हैं। साथ ही संसार समस्त प्राणी तथा समय उन दोनों के शासन में रहते आए सूतराम उनकी पूजा अर्चना भी होती आई है।
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उन्हें पूज्य देवताओं में ब्रह्मा के पर पत्र पपौत्र श्री विश्वकर्मा जी भी हैं। जिनकी पूजा का विधान वैदिक काल में ही था और यज्ञ तथा वस्तु विधान के प्रसंग में उनकी अर्चना सर्वदा से होती रही है। जो कालांतर में बैंड सी हो गई थी। क्योंकि अभी भी ब्रह्मा की पूजा एवं मंदिर देखने को मिलता है। यह कौन नहीं जानता कि विश्वकर्मा नहीं सर्वप्रथम स्वर्ग लोक की रचना की बाद में लंका तथा द्वारका आदि उनके पुरिया का निर्माण देवलोक की शिल्पी बाबू विश्वकर्मा ने ही किया। तब वहां यागशाला का निर्माण विश्वकर्मा जी नहीं किया था।
विश्वकर्मा जी ने काशी में अपने नाम का एक शिलेलिंग भी स्थापित किया था। विश्वकर्मा भगवान का जन्म पंचांग के अनुसार अश्विनी मास के कन्या संक्रांति के दिन हुआ था। प्राचीन काल में जितनी राजधानियां थी प्राय सभी विश्वकर्मा की बनाई कही जाती है। यहां तक की सतयुग का स्वर्ग लोक, त्रेता युग की लंका, द्वापर की द्वारका, तथा काली का हस्तिनापुर, आदि नगर विश्वकर्मा की रचना के नमूने हैं। सुदामा पुरी की तत्कालीन रचना कौन नहीं जानता। इसे प्रमाणित है कि धन-धन एवं सुख समृद्धि की अभिलाषा रखने वाले पुरुषों को विशेष कर उनके बाल संजीवों को बाबा विश्वकर्मा की पूजा करना अत्यंत आवश्यक एवं मंगल व्रत है।
Vishvkarma Puja 2023 पूजापद्धति
सर्वप्रथम स्नानदी नितक्रिया से निर्मित होकर स्त्री सहित पूजन करता पूजा स्थान में सुदासन पर बैठकर पवित्रि धारण करें तत्पश्चात आचमन मार्जन करके प्रणाम करें तथा विष्णु भगवान का ध्यान करें तथा अपने इष्ट देवता का सिमरन करते हुए जल सहित कुछ से अपने आप को स्त्री को तथा पूजा की सामग्री को पवित्र करें इसके बाद हाथ में पुष्प अक्षत लेकर ध्यान करें।

Vishvkarma Puja 2023
और अपने मन में जो भगवान की आराधना करें ऐसा कह कर चारों ओर अक्षत पुष्प को छोड़कर तत्व पश्चात पीली सरसों लेकर दिगबंधन करें इसके बाद धोती एवं चादर से कला स अच्छादन करना चावल से भरा पूर्ण पात्र स्थापित करें। कलस के ऊपर नारियल, केला, फल अथवा विश्वकर्मा की धातुमई मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद कलश में वरुण देवता का वहां करें तत्पश्चात पुणे कलश में गंगा जल नदियों का वहन करके प्रार्थना करनी चाहिए।
Vishvkarma Puja 2023 प्राण प्रतिष्ठा
विधिवत कलश स्थापना के बाद विश्वकर्मा जी की धातु मैं परस्तरमायी अथवा मृण्म्यी मूर्ति में निम्नलिखित प्रकार से प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए। साथ ही कास्ट पीठ अथवा बेदी पर विश्वकर्मा बना से पूजन भी करना चाहिए। इसके पूर्व अपनी शरीर शुद्धि के लिए सांडगण्यास इस प्रकार करें। इसके बाद हथेली में पुष्प लेकर प्राण शक्ति का ध्यान करें। हथेली का पुष्प चढ़कर अच्छा से पुनः विश्वकर्मा जी का प्राण प्रतिष्ठा करें।
इस प्रकार प्राण प्रतिष्ठा करने पुणे ध्यान करना चाहिए। अर्थात हे विश्वकर्मा जी यहां लिए इस सुंदर मूर्ति में विराजीए और कृपा मेरी अर्चना पूजा स्वीकार कीजिए। अब मैं आपका यहां प्रार्थना पूर्वक सोड सुपरचार से पूजन करता हूँ। उपयुक्त विधि से विश्वकर्मा जी का प्राण प्रतिष्ठा पूर्वक ध्यान करके उनकी पूजा करनी चाहिए।
Vishvkarma Puja 2023 सामग्री एवं शुभ मुहूर्त
इस साल 2023 में Vishvkarma Puja 2023 पंचांग के अनुसार अश्विनी मास के कन्या संक्रांति को दिन मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर रविवार को शुरू हो जाएगी जिसका शुभ मुहूर्त किस प्रकार हैं।
- Vishvkarma Puja 2023 कन्या संक्रांति का क्षण होगा 17 सितंबर दोपहर 01:43 मिनट पर
- Vishvkarma Puja 2023 कन्या संक्रांति का पुण्य कल होगा दोपहर 01:43 से शाम 06:24 तक
- Vishvkarma Puja 2023 कन्या संक्रांति का महा पुण्य का होगा 01:43 से 03:46 मिनट तक

Vishvkarma Puja 2023
अब जानते हैं कि इस पूजा में कौन-कौन से सामग्री लगती है जिससे पूजन में आवश्यकता होती है।
मंडप मिनमय कलश तारमय कलश हवन वेदी नवग्रह बेदी तथा प्रधान विधि विश्वकर्मा की धातु में मूर्ति होनी चाहिए। द्रव्य तथा पूजा द्रव्य के लिए सामग्री- नारा, रोड़ी, सिंदूर, अबीर, चंदन, कस्तूरी केसर, मेहंदी का चूर्ण, हरदी का चूर्ण, पीली सरसों, अक्षत सुपारी, छूटा पान, पुष्पमाला, तुलसीदल, मौसमी फल, धूपबत्ती, दीपवती, कचा सूत, रूई, कपूर, मिठाई, बताशा, नारियल, दूध, दही, मधु, घी, गाय का गोबर, मूत्र, दही, गजल हरि, डूबी, धोती, गमछा, चौकी, पंचपात्र, जलपत्र, लोहे का हथियार, शास्त्र इत्यादि यह सब सामग्री लेकर पूजा हेतु बैठे हैं और विधि पूर्वक भगवान विश्वकर्मा की पूजा आराधना करें।
Vishvkarma Puja 2023 कथा
इस कथा को आदर पूर्वक सुनिए
जिनके सिमरन मात्र से बड़े-बड़े पापी जन्म भी पाप मुक्त हुए। इसमें कुछ भी संदेह नहीं है। इसी प्रश्न को एक वार्षिक समुद्र में लक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु से पूछा था लक्ष्मी जी ने कहा है। जगन्नाथ भक्तजन आपके अनेक रूपों की भक्ति पूर्वक पृथ्वी पर पूजा करते हैं। स्वामी वे सब रूप सम्मान ही है। या मुख्य और कौन के विचार से भेद भी हैं। तब भगवान विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा है। प्रिय जब मैं योग माया के साथ समूचे ब्रह्मांड को अपनी आत्मा में समेट लेता हूं तब मैं अनेक रूप धारण करता हूं।
इस तरह की इच्छा रखता हुआ जीवो को कर्म भोग के लिए क्षण भर में संघ के लोगों को जिस रूप से रचना करता हूं उसे रूप को कहता हूं तुम ध्यान से सुनो। हे देवी चारों तरफ से प्रकाशित करता हुआ अनेक सूर्य के टूल चमकने वाला विश्वकर्मा का रूप धारण करता हूं। एवं उसके बाद न सृष्टि करने की इच्छा करता हुआ पहले तपस्वी ब्रह्मा को रचता हूं। उसे ब्रह्म को स्तुति यज्ञ गण के प्रकाशन करने वाले हर एक यजू और सामवेद का उपदेश करता हूं। इसी प्रकार सिर्फ विद्या के प्रतिपादक ऑर्थव्ड को भी प्रदान करता हूं।
इसी वेद द्वारा शिल्पियों ने अनेक वस्तुओं की रचना की है। सभी रूपों में यही मुख्य रूप है जिससे सारी सृष्टि को क्षण भर में निर्माण कियाजाता है। जो मनुष्य इस अद्भुत रूप को क्षण भर भी ध्यान करता है। उसका सभी वाइन नाश हो जाता है। जो शिल्पी जी विश्वकर्मा भगवान का ध्यान करता है। उसका समूचा दुख दूर हो जाता है। इसी प्रकार त्रिलोक के स्वामी श्री विष्णु भगवान ने लक्ष्मी जी से अपने रूप का वर्णन कर चुप हो गए तब सभी ऋषियों ने कहा सभी धर्म को जाने वाले वक्ताओं में श्रेष्ठ है।
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महात्मा सूत जी की अद्भुत रहस्य को अपने कैसे जाने हे सूत जी आपसे विश्वकर्मा भगवान के चरित्र को सुनकर अभी हम लोगों को चित्र की तृप्ति नहीं होती है इस समय भगवान के चरित्र को सुनने की इच्छा ऐसी बढ़ रही है जैसे अग्नि की वृद्धि होती है। एक समय की बात थी एक राजा बहुत ही नास्तिक प्रवृत्ति का हो गया था और वह राजा राजा पहले नास्तिक मत का प्रचार करता था लोगों में उपदेश करता था कि यह संसार अनाड़ी है। इसका रचयिता विश्वकर्मा आदि कोई नहीं है। संसार को कर कर्म फल देने वाले यदि विश्वकर्मा नहीं है तो मनुष्य उपकार से उत्पन्न फल को कैसे प्राप्त कर सकता है।
अनेक जन्मों के पाप और पुनः का फल एक जन्म में नहीं मिलता इससे संदेह मत करो अब आगे की कथा करता हूं आप लोग ध्यान से धोकर सुन राजा को अत्यंत दक्षिण देखकर दुखी मन से रानी बोली ज्ञान बाल से अमावस्या के दिन व्रत कर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना ठीक समझा जाता है। पूजन के दिन पुरोहित ने एक सम फलाहार किया और सभी कामों को छोड़कर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना प्रारंभ किया इस व्रत के भगवान से उनको दिव्या दृष्टि हो गई जो आज तक उनकी दृष्टि जीवन ही तिथियां है।
प्रिय तुमने ठीक कहा इसको सुनकर मेरे चित्र बहुत साफ हो रहा है। और निश्चय है कि यह काम भगवान विश्वकर्मा की कृपा से सब सफल होगा यह चित्र से ही मालूम होता है। अर्थात कभी नहीं भूल जो मनुष्य प्रतिदिन प्रेम पूर्वक भगवान विश्वकर्मा का श्रद्धा भक्ति प्रबंधन पूजन करता है। सभी लोगों से मुक्त अनंत में प्राप्त करता है। इस कथा को संक्षिप्त रूप से आप सभी को बता रहे हैं। क्योंकि विश्वकर्मा पूजा की कथा बहुत ही लंबी है।

Vishvkarma Puja 2023
Vishvkarma Puja 2023
विश्वकर्मा पूजा सभी लोग अपने बता सकते शुरू करें और मानता है कि जो भी लोगे आदि के समान है उसकी विधि वक्त पूजा करने से भगवान विश्वकर्मा जी प्रसन्न होते हैं इसलिए सुबह उठकर नहा धोकर जितने भी घर के लोहे की वस्तु है उसे पूजा करें और भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करें