Bihar Sudha Milk Booth दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अब बिहार के सभी प्रखंड में सुधा का होल डे Bihar Sudha Milk Booth खोला जाएगा। इसकी प्रक्रिया पशुपालन विभाग के द्वारा शुरू कर दी गई है। और टेंडर भी जारी कर दिया गया है। बिहार के सभी प्रखंड में एक बूथ की योजना है।
बिहार के सभी प्रखंडों में कम से कम एक (Bihar Sudha Milk Booth) सुधा दूध विक्री केंद्र खोला जाना आवश्यक है। इसके लिए पशुपालन विभाग ने प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। इस योजना का क्रियांवयन की जाएगी।
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अभी बिहार के कुछ ही प्रखंडों में ही सुधा का अस्थाई बूथ स्थापित है। बिहार में अभी 458 Bihar Sudha Milk Booth है। लेकिन बिहार के सभी प्रखंड में मिल्क बूथ नहीं है। हालांकि रिटेलर ( खुदरा बिक्री केंद्र) के द्वार लोगों को शुद्ध का दूध या अन्य उत्पाद उपलब्ध कराया जा रहा है। हाल ही में हुई समीक्षा बैठक के अनुसार यह निर्णय लिया गया कि अभी शहरी इलाकों में एवं जिला स्तर पर सुधा मिल्क बूथ उपलब्ध है।
सभी प्रखंड में कम से कम एक Sudha Milk Booth खोला जाएगा
विभाग के द्वारा 600 मिल्क पार्लर खोलने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत सभी प्रखंड में Bihar Sudha Milk Booth हो जाएगी। Sudha Milk Booth खोलने की प्रक्रिया तेज हो गई है। 49 बूथ निर्माण के लिए टेंडर भी जारी कर दिया गया है।
बूथ निर्माण हो जाने के बाद बुध संचालन का जिम्मा जीविका समूह और बिहार के बेरोजगार युवाओं को दिया जाएगा। इससे बिहार में खुदरा विक्रय केंद्रों की संख्या भी बढ़ेगी। बिहार में चौथे कृषि रोडमैप के तहत 28500 रिटेल शॉप खोलने का निर्णय लिया गया है। जिसकी टेंडर प्रक्रिया जल्द ही विस्तार पूर्वक बताई जाएगी।
दुग्ध उत्पादन पर जोर
- पहले प्रतिवर्ष दूध उत्पादन क्षमता 1 पॉइंट 70 लाख मैट्रिक टन था जबकि अब 121 पॉइंट 0 2 लाख मैट्रिक टन है।
- भूमि आधारित अर्थव्यवस्था को देखते हुए विभाग ने उत्पादन में वृद्धि लाने का लक्ष्य रखा है। भूमि आधारित अर्थव्यवस्था को देखते हुए पशुपालकों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है।
- समग्र गव्य विकास योजना के तहत 204 दुधारू पशुओं को लेकर डेरी इकाई बनाने पर सरकार के तरफ से अनुदान का प्रावधान है इसके तहत दो दुधारू मवेशियों की 3239 और 40 मवेशी की 374 डेयरी का स्थापित है।
समितियों के माध्यम से बेच सकेंगे दूध
दूध की बिक्री में वृद्धि लाने के लिए समिति की संख्या में इजाफा किया जाएगा। बिहार में अभी 27 हजार समितियां है। अगले पांच वर्षों में 57 हज़ार 50 नई समितियां गठित करने का निर्णय लिया गया है। इन समिति के जरिए किसान अधिक से अधिक दूध बेच सकेंगे।
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