Table of Contents
शिमला मिर्च की खेती | Capsicum cultivation
पिछले कुछ वर्षों में शिमला मिर्च की खेती की ओर लोगों का रुझान बड़ा है इसी स्वीट पेपर एवं वॉलपेपर के नाम से भी जाना जाता हैरंग-बिरंगे शिमला मिर्च भोजन को स्वादिष्ट एवं पौष्टिक बनाने की में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है इसका लाल पीला एवं हरा रंग सलाद को आकर्षक बनता है साथ ही सब्जी व दूसरे व्यंजनों में शिमला मिर्च की उपयोगिता बढ़ चुकी है इसकी खेती नियंत्रित दशाओं में पाली हाउस ग्रीन हाउस एवं खुले क्षेत्रों में करके किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, पाया जाता है|
शिमला मिर्च की खेती की जलवायु
या ठंडी जलवायु की फसल जिसे शरद ऋतु में सभी क्षेत्रों में उगाया जाता है परंतु नियंत्रित दशाओं में पाली हाउस की भी वर्षभर खेती की जा सकती है दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री से एवं रात का तापमान 18 से 20 डिग्री से एक साथ आद्रता 50 से 60% आवश्यक होता है यदि तापमान 35 डिग्री से अधिक पड़ता है या गिरकर 12 डिग्री से नीचे जाता है तब फसल घट जाती है|
शिमला मिर्च की खेती के लिए भूमि
शिमला मिर्च की खेती के लिए बोली जो मन मिट्टी एम सबसे अधिक उपयुक्त पाई गई है भूमिका का पी,एच, मान 6 से 7 के मध्य अच्छा पाया गया है | भूमि में जल निकास की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए खेत की तैयारी पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से इसके बाद दो जुताई कल्टीवेटर से करें प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाएं जिसमें मिट्टी भुरभुरी हो जाए तैयार खेत में 90 600 सेंटीमीटर चौड़ी एवं 15 से 22 से उठी हुई क्यारियां बनाए दो कर्मचारियों के बीच 45 से 50 सेंटीमीटर आस्थान जोड़ना चाहिए |
पौधाशाला प्रबंधन
Capsicum cultivation
कपनुमा शिमला मिर्च के बीज की बुवाई प्रो- ट्रायस मैं करना काफी लाभदायक पाया गया है या एक प्रकार का ट्रे होता है जिसमें छोटे- छोटे पॉंट बने होते हैं इसमें बराबर मात्रा में कोकोपीट एवं वर्मी कंपोस्ट से भर दिया जाता है इसके बाद इसमें बीच की बुवाई कर दी जाती है प्रत्येक पॉंट मैं एक बीज 0.5 से की गहराई में बोना चाहिए लगभग एक सप्ताह में बीज अंकुरित हो जाते इसके ऊपर हल्की रहनी चाहिए जिससे तेज धूप एवं वर्षा से पौधों को क्षति न पहुंचे लगभग 15 दिन के बाद किसी अच्छे पौधों की क्षति न पहुंचे लगभग 15 दिन के बाद किसी अच्छे पौधे वर्धक का छिड़काव करें इस प्रकार पौधा रोपण हेतु 30 से 50 दिन में पौधे तैयार हो जाते|
शिमला मिर्च की खेती के लिए उन्न्त प्रभेद
Capsicum cultivation
इसकी बहुत तैयारी किस्में विकसित हुई प्रमुख किस्में निम्न प्रकार देखे |
पूसा दिप्ती, कैलीफोर्निया मर्डर, अर्का मोहनी, अर्का गौरव, अर्का बसंत
पूसा दिप्ती
इसके पौधे मध्यम आकार के गुच्छेदार होते हैं होते हैं फल पीला हरा होता है जो पकने पर गाडा लाल रंग का हो जाता है फल 9 से 11 सेमी़ लंबा होता है पौध रोपण 60 से 70 दिन पर फाल्के की पहली तुड़ाई प्रारंभ हो जाती है प्रातः डाटा 225 कुंटल उपज प्राप्त होती है या पूरे देश के लिए उपयुक्त प्रजाति है
कैलीफोर्निया मर्डर
यह पूरे देश के लिए उपयुक्त किस्म है इसके फल गहरे हरे रंग होते हैं फल की पहली तुड़ाई 90 से 100 दिन पर प्रारंभ हो जाती है औसत उत्पादन 170 कुंटल प्रत्यय हेक्टेयर पाया जाता है
अर्का मोहनी
यह किस में भी पूरे देश के लिए उपयुक्त पाई गई है फल गहरे हरे रंग का जो पकने पर लाल रंग का हो जाता है फल का वजन 180 से 200 ग्राम होता है औसत उत्पादन 20 टन प्रति हेक्टेयर होता है और डेढ़ सौ किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है
अर्का गौरव
इसका फल हरे काले रंग का होता है जो 130 से 150 ग्राम वजन के होता है पकने पर फॉलो का रंग नारंगी पीला हो जाता है इस किस्म की औसत उपज 16 टन प्रति हेक्टेयर है
अर्का बसंत
या किस्मत पूरे देश के लिए उपयुक्त पाई गई है फल का वजन 15 से 80 ग्राम होता है जिसका रंग क्रीम रंग के लिए होता है पकने पर नारंगी लाल हो जाता है लगभग 15 टन प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है
इन्हे भी पढृें टमाटर की खेती करने का सही तरीका Baigan Ki Kheti Kaise Karen | बैंगन की खेतीBihar Online Farmer Registration |
बीज दर \ पौधा रोपण \ पोषक तत्व प्रबंधन
प्रति हेक्टेयर 400 से 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है बीज सदैव विश्वसनीय स्रोत से रोग मुक्त लेना चाहिए
बीज बुवाई का समय
शिमला मिर्च की खेती के लिए बीज को अगस्त माह में पौधा शाला में बुवाई कर देनी चाहिए
पौधा रोपण
पौधा साला से 30 से 35 दिन की पौध को मुख्य खेत में बनाए गए वेद कतार से कतार 45 से और पौधे से पौधे 40 से मी की दूरी पर पौधों को लगाना चाहिए
पोषक तत्व प्रबंधन
लगभग 20 टन गोबर की साड़ी खाद अथवा 10 टन वर्मी कंपोस्ट प्रति हेक्टेयर की दर से पौधरोपण से पूर्व खेत में समान रूप से बिखेर कर मिट्टी में मिलाएं इसी समय 50 किलोग्राम नत्रजन 62 किलोग्राम फास्फोरस एवं 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाएं इसके बाद पौधा रोपण 60 दिन के बाद पोटेशियम नाइट्रेट एवं कैल्शियम नाइट्रेट 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 20 दिन के अंतराल पर छिड़काव करते रहना चाहिए |
Capsicum cultivation
सिंचाई
ड्रिप इरीगेशन से सिंचाई इसमें फल का आकार एवं गुणवत्ता बढ़ने के 77 ऊपर में काफी बढ़ोतरी आंकी गई है सिंचाई इस तरह से करें कि खेत में नमी सदैव बरकरार रहे |
खरपतवार नियंत्रण
Capsicum cultivation
खरपतवार से उपज प्रभावित होती है खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई गुड़ाई का सहारा लें इसमें पौधों की जड़ों में वायु संचार पड़ता है जो पौधों के विकास के लिए अच्छा अवसर मिलता है |
पौधा संरक्षण
Capsicum cultivation
कीट एवं रोग से फसल को काफी क्षति पहुंच सकती है इसलिए निम्न तरह से इसका नियंत्रण करें
एफीड
इससे लाही अथवा मा हू जो भी कहा जाता है यह काफी छोटा हरे रंग का कीट होता है जो पौधे के मुलायम भागों पर चिपक कर रस चूसता है इसके नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफाॅंस 50 ई़ सी़ दवा की 1 लीटर मात्रा 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें
थिप्स
या भूरे रंग का छोटा कीट होता है जो पतियों को पुरस्कर रास्ता है जिसमें पतियों पर डब्बे बन जाते हैं और पौधा कमजोर हो जाता है इसके नियंत्रण के लिए डायमेथोएट 30 ई़ सी़ दवा 600 मिली मात्रा 1000 लीटर पानी में गोल बनाकर खड़ी फसल में छिड़काव करें
सफेद मक्खी
सफेद पंख वाली मक्खी होती है जो पतियों से रस चुस्ती है और या लीफ कल वायरस का वाहक भी होता है इसके नियंत्रण के लिए इ ईमिडाक्लोरोप्रीड 17 . 8 एल एस दवा की 350 मिली मात्रा 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें
उखड़ा रोग
इस रोग के प्रकोप में मिट्टी की सत्ता के ऊपर चढ़ना का भाग सिकुड़ करसंकुचित हो जाता है और धीरे-धीरे पौधा मुरझा कर सुख जाता इसके नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50% घुलनशील पाउडर 350 ग्राम मात्रा 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खड़ी फसल में छिड़काव करें |
फसल की तुड़ाई
Capsicum cultivation
शिमला मिर्च की हरे रंग की किस्म में फलों की तुड़ाई55 से 7 दिन पीले रंग की किस्म से 70 से 75 एवं लाल रंग की किस्म से 80 से 90 दिन में प्रारंभ हो जाती है फल तीन से चार दिन के अंतराल पर करते रहे |
उपज
विभिन्न प्रभेदों से 75 से 100 टन प्रति हेक्टेयर उपज भी प्राप्त होता है
बिहार सेवा यूट्यूब चैनल और वेब पोर्टल www.onlinebihar.in एक गैर सरकारी मिशन का नाम है. सरकार से इस पोर्टल या चैनल का कोई सम्बंध नहीं है. हमारा प्रयास है कि हम सरकारी योजनाओं की जानकारी ज़न ज़न तक पहुंचाये और आज के डिजिटल युग मे लोगों को तकनीकी ज्ञान निशुल्क प्रदान कर एक प्रगतिशील और समुन्नत समाज की रचना मे अपना युगधर्म निभाए. मैं रंजन, बिहार के औरंगाबाद से हूं. मैंने 1 जनवरी 2018 को यूट्यूब बिहार सेवा के माध्यम से मिशन निशुल्क तकनीकी ज्ञान और मिशन जागरूकता अभियान की शुरुआत की थी. एक सीधा सादा ग्रामीण युवक सामाजिक सरोकार की अहमियत को दिल मे आत्मसात कर निकल पड़ा था सेवा के मार्ग पर, चाहत थी, कल्पनायें थी-“समाज हित ,प्रदेश हित, देश हित, जगत हित मे व्यापक स्तर पर कुछ करने की” पर सीमित संसाधनों के कारण शुरुआत प्रदेश स्तर से की.. मुरझाए चेहरों पर मुस्कान लाने का मिशन शुरू किया.तकनीकी ज्ञान से लोगों को जोड़ा, सूचनाओं की पहुंच गाँव गाँव ले जाने का भरपूर प्रयास किया. इन बर्षों की यात्रा मे आप सब से मिले स्नेह और प्रोत्साहन के मै दिल से अभारी हुँ।